सैटेलाइट फोन को आप बिना किसी नेटवर्क के बिना किसी इंटरनेट के अपने लोगों से बात कर सकते हैं, लेकिन ये सैटेलाइट फोन या जिसे हम सैट फोन भी कहते हैं बहुत महंगे आते हैं जो आम लोगों के पहुंच से बाहर होते हैं। सैटेलाइट कनेक्टिविटी के जरिए यूजर का फोन मोबाइल टावर के बजाय सीधे सैटेलाइट से कनेक्ट हो जाता है। इसके बाद वो किसी भी मोबाइल या टेलीफोन पर कॉल कर सकता है। सैटेलाइट कनेक्टिविटी के बाद यूजर्स मोबाइल नेटवर्क के बिना कॉलिंग और इंटरनेट सुविधा का लाभ उठा पाएंगे। आइए जानते हैं कि सैटेलाइट कनेक्टिविटी कैसे काम करती है।
ऐसे काम करती है सैटेलाइट कनेक्टिविटी
सैटेलाइट कनेक्टिविटी सैटेलाइट्स के नेटवर्क के माध्यम से काम करती हैं, ये हमारे सेल फोन को डायरेक्ट सैटेलाइट से कनेक्ट कर देते हैं जिसको कंपनियों के द्वारा कंट्रोल किया जाता है।
सैटेलाइट कनेक्टिविटी 2 तरह की होती है
- लियो लो अर्थ आर्बिटिंग (Leo Low Earth Orbiting) :– लो अर्थ ऑर्बिट सैटेलाइट कनेक्टिविटी उन सैटेलाइट पर निर्भर होते हैं जो निचली ऑर्बिट में होते हैं और इंटरनेट बीम करने के लिए जाने जाते हैं।
- Geosynchronous Satellite :– ये कनेक्टिविटी geosynchronous satellite अर्थ ऑर्बिट का उपयोग करता है और ये लियो से बेहतर होता है।
जानते हैं क्या है सैटेलाइट फोन के फायदे और नुकसान:
सैटेलाइट फोन को यूज करने के लिए-
कोई सेल टावर की आवश्यकता नहीं है। पूरी दुनिया में बेहतरीन कनेक्टिविटी, सिक्योर कनेक्शन मिलता है। आपदा के समय सही से इस्तेमाल कर सकते हैं। वाइड नेटवर्क कवरेज, कोई ड्रॉप कॉल नहीं होता है। मोबाइल फोन की तुलना में अच्छा सिग्नल मिलता है। कोई इंस्टॉलेशन की जरूरत नहीं पड़ती है।
सैटेलाइट फोन के कई नुकसान भी है। आइए उसके बारे में जानते हैं।
सैटेलाइट फोन केवल बाहर काम करता है। खराब मौसम में सही से काम नहीं करता है। मोबाइल फोन से महंगा कॉल पड़ता है। स्थानीय सरकार के नियम के अनुसार किसी व्यक्ति को बिना अनुमति के सैटेलाइट फोन का उपयोग करने से रोका जा सकता है।