नई दिल्लीः ताइवान को लेकर चीन ने अमेरिका को कड़ी चेतावनी दी है। चीन के विदेश मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने मंगलवार को कहा कि ताइवान का सवाल चीन का आंतरिक मामला है। अमेरिका के लिए समय आ गया है कि वह किनारे पर चलना बंद करे, रणनीति का इस्तेमाल बंद करे और ताइवान पर भ्रम पैदा करना व दुनिया को गुमराह करने की कोशिश न करे। प्रवक्ता माओ निंग ने ताइवान पर अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन की हाल की टिप्पणी के जवाब में यह चेतावनी दी है। अगर अमेरिका रास्ता बदलने से इनकार करता है और गलत रास्ते पर चला जाता है तो इसके वास्तविक परिणाम होंगे। चीन ने कहा है कि अमेरिका को इसके बदले में बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी।
अंतरराष्ट्रीय मीडिया रिपोर्टों के अनुसार ड्रैगन ने कहा है कि चीन पर एंटनी ब्लिंकन की टिप्पणी बिल्कुल गैरजिम्मेदाराना और बेतुकी है। चीन इसका दृढ़ता से विरोध करता है। बीजिंग का कहना है कि ऐसा लगता है कि ताइवान मुद्दे पर अमेरिकी राजनयिक के लिए इतिहास के कुछ सबक जरूरी हैं। चीनी प्रवक्ता ने जोर देकर कहा ताइवान चीन का अभिन्न हिस्सा है। एक चीन सिद्धांत अंतरराष्ट्रीय संबंधों में सार्वभौमिक रूप से मान्यता प्राप्त मानदंड है और दुनिया के देशों के साथ चीन के राजनयिक संबंधों के लिए महत्वपूर्ण राजनीतिक शर्त और नींव है। चीन ने याद दिलाया कि वर्ष 1972 में अमेरिका ने शंघाई विज्ञप्ति में कहा कि था कि वह स्वीकार करता है कि ताइवान जलडमरूमध्य के दोनों ओर केवल एक चीन है और ताइवान चीन का हिस्सा है। अमेरिकी सरकार उस स्थिति को चुनौती नहीं देती है। 1978 में व्हाइट हाउस ने अमेरिका और चीन के बीच राजनयिक संबंधों की स्थापना पर संयुक्त विज्ञप्ति में कहा कि अमेरिका चीन गणराज्य की सरकार को चीन की एकमात्र कानूनी सरकार के रूप में मान्यता देता है। अमेरिकी सरकार चीनी स्थिति को स्वीकार करती है कि चीन एक है और ताइवान चीन का हिस्सा है।
चीन ने दिलाई अमेरिका को पुरानी याद
चीन ने वाशिंगटन को याद दिलाते कहा कि अमेरिका ने 17 अगस्त 1982 में भी उल्लेख किया था कि चीन की एकमात्र कानूनी सरकार के रूप में पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना की सरकार को उसने मान्यता दी है और उसने चीनी स्थिति को स्वीकार किया है कि ताइवान ड्रैगन का हिस्सा है। तब कहा था कि अमेरिकी सरकार दोहराती है कि उसका चीनी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का उल्लंघन करने या चीन के आंतरिक मामलों में ‘दो चीन’ या ‘एक चीन, एक ताइवान’ की नीति में हस्तक्षेप करने का कोई इरादा नहीं है। चीनी प्रवक्ता ने कहाकि कुछ समय के लिए अमेरिका ने ताइवान के सवाल पर चीन से राजनीतिक प्रतिबद्धताएं कीं, जिन्हें काले और सफेद रंग में लिखा गया है।
अमेरिका पर इतिहास को नजरंदाज करने का लगाया आरोप
चीन ने आरोप लगाया कि अमेरिका जानबूझकर इतिहास को नजरअंदाज कर रहा है और ताइवान के सवाल पर पूरी दुनिया को गलत संदेश भेज रहा है। अमेरिका ने आधिकारिक बातचीत पर अपने संयम में काफी ढील दी है और ताइवान के साथ सैन्य संपर्क को मजबूत किया है। उसकी वजह से यूक्रेन आज कहां है और ताइवान कल कहां होगा। चीनी मीडिया द्वारा खुलासा किया गया है कि अमेरिकी सरकार के पास ताइवान के विनाश की योजना है। माओ ने कहा कि हम मदद नहीं कर सकते हैं ,लेकिन पूछते हैं कि अमेरिका वास्तव में क्या हासिल करने की कोशिश कर रहा है? ताइवान का सवाल विशुद्ध रूप से चीन का आंतरिक मामला है। यह चीन के मूल हितों के केंद्र में है। यह चीन-अमेरिका संबंधों का राजनीतिक आधार है और पहली रेड लाइन जिसे इस संबंध में पार नहीं किया जाना चाहिए। चीन कभी भी किसी बाहरी ताकत को हमारे आंतरिक मामलों में दखलअंदाजी नहीं करने देगा।
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