pakistan economic crisis will effect china friendship islamabad is the biggest debtor of beijing । चीन का सबसे बड़ा कर्जदार है पाकिस्तान, तो क्या अब कंगाली ‘सदाबहार दोस्ती’ पर पड़ेगी भारी?

China And Pakistan Friendship- India TV Hindi
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चीन और पाकिस्तान की दोस्ती

पाकिस्तान: China-Pakistan Relationship पाकिस्तान आर्थिक संकट से जूझ रहा है और वो अब कंगाली की कगार पर पहुंच गया है। पाकिस्तान चीन का सबसे बड़ा कर्जदार है और चीन उसका सबसे मददगार और सदाबहार दोस्त भी है। लेकिन आर्थिक तंगी से जूझ रहे पाकिस्तान को चीन कबतक मदद करेगा, उनकी सदाबहार दोस्ती क्या कर्ज के कारण कमजोर पड़ जाएगी। चीन ने सोमवार को कहा है कि उसने विनाशकारी स्थिति से निपटने के लिए अपने “सदाबहार मित्र” पाकिस्तान द्वारा उठाए गए कदमों का समर्थन करता है और उम्मीद करता है कि पाकितान को जल्द से जल्द इससे निजात मिल जाएगी।

हालांकि विदेशी ऋणों पर चूक की संभावनाओं के साथ सबसे खराब आर्थिक संकट में फंसे पाकिस्तान पर चीन बारीकी से स्थिति की निगरानी कर रहा है। स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान (एसबीपी) द्वारा सोमवार को साझा किए गए आंकड़ों के मुताबिक, पाकिस्तान का चालू खाता घाटा जनवरी में 90.2 फीसदी घटकर 0.24 अरब डॉलर रह गया है, जो पिछले साल इसी महीने में 2.47 अरब डॉलर था। कर्ज के बोझ ने पाकिस्तान को कंगाली के कगार पर ला दिया है।

दूसरे देशों को कर्ज देकर असमंसज में चीन 

डॉन अखबार ने सोमवार को बताया कि दिसंबर के 0.29 अरब डॉलर की तुलना में पाकिस्तान के घाटे में 16.55 फीसदी की कमी आई है क्योंकि कर्ज से निजात पाने के लिए देश में सभी तरह के आयात पर प्रतिबंध जारी है। विश्लेषकों का कहना है कि पाकिस्तान का आर्थिक संकट श्रीलंका के आर्थिक संकट के करीब आ रहा है और इसके साथ ही गहरे कर्ज में डूबे अफ्रीकी देश भी चीन के लिए एक तरह का संकट बन रहे हैं। इसे लेकर चीन के विश्लेषकों ने दूसरे देशों को दिए गए कर्ज की आलोचना की है और इसे बट्टे खाते में डालने की मांग की है।

चीन के आर्थिक विश्लेषकों का मानना है कि कर्ज की वजह से चीन की अपनी अर्थव्यवस्था भी इससे धीमी हो सकती है। कंगाली की कगार पर पहुंचा पाकिस्तान को आशा थी कि चीन उसे पूरी तरह से दिवाला घोषित करने से बचा लेगा और उसे  श्रीलंका के आर्थिक हालात तक पहुुंचने नहीं देगा लेकिन अब ऐसा होता दिख नहीं रहा है। 

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के आंकड़ों के अनुसार, चीन के पास कुल विदेशी कर्ज में पाकिस्तान के पास 126 बिलियन अमरीकी डालर का लगभग 30 बिलियन अमरीकी डालर बकाया है। डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, यह इसके आईएमएफ ऋण (7.8 बिलियन अमरीकी डालर) से तीन गुना अधिक है और विश्व बैंक और एशियाई विकास बैंक के संयुक्त उधार से भी अधिक है।

पाकिस्तान के दिवालियापन के बाद भी चीन ने दिया भरोसा

इस बीच, पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने रविवार को एक चौंकाने वाली टिप्पणी में कहा कि पाकिस्तान पहले ही चूक कर चुका है। उन्होंने कहा कि  ‘आप जान गए होंगे कि पाकिस्तान दिवालिया हो रहा है या डिफॉल्ट या मेल्टडाउन हो रहा है, नहीं यह हो चुका है। हम एक दिवालिया देश में रह रहे हैं। आसिफ की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया के बारे में पूछे जाने पर चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा कि चीन को पाकिस्तान से सहानुभूति है। इसमें कहा गया है, ‘सदाबहार रणनीतिक सहकारी साझेदार और ‘हार्ड-कोर’ मित्र के रूप में, चीन पाकिस्तान की मौजूदा कठिनाइयों के प्रति सहानुभूति रखता है और इससे निपटने के लिए सक्रिय कदम उठाने में पाकिस्तान का समर्थन करता है।’

इसमें कहा गया है,  चीन-पाकिस्तान को पारस्परिक रूप से आर्थिक सहयोग को दृढ़ता से बढ़ावा देना जारी रखेगा और पाकिस्तान को स्थिरता और सतत विकास हासिल करने के लिए सभी आवश्यक सहायता प्रदान करेगा लेकिन इसके बारे में कोई डिटेल्स नहीं दिया गया। चीन की तरफ से सिर्फ ये कहा गया कि, ‘हमारा मानना ​​है कि पाकिस्तान मुश्किलों से उबरने और स्थिर आर्थिक और सामाजिक विकास हासिल करने में सक्षम होगा।’ चीन पहले से ही इस बात को लेकर असमंजस में है कि श्रीलंका को कैसे समर्थन दिया जाए, जो पहले से ही अपने 51 बिलियन अमरीकी डालर के बाहरी ऋण पर चूक कर चुका है, जिसमें चीन का 20 प्रतिशत ऋण शामिल है।

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