CM Shinde reached Balasaheb Memorial after getting Shiv Sena name and Symbol | ‘धनुष-बाण’ मिलने के बाद बालासाहेब मेमोरियल पहुंचे CM शिंदे, जमकर साधा उद्धव पर निशाना

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बालासाहेब मेमोरियल पर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे।

मुंबई: लंबे संघर्ष के बाद शिवसेना का नाम और चुनाव निशान हासिल करने के बाद मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे शुक्रवार को बालासाहेब ठाकरे मेमोरियल पर पहुंचे। मेमोरियल पर पहुंचकर शिंदे ने शिवसेना के संस्थापक बालासाहेब की समाधि पर श्रद्धांजलि अर्पित की और सिर झुकाकर उनको नमन किया। इस मौके पर एकनाथ शिंदे ने कहा कि यह लोकतंत्र की जीत है। उद्धव ठाकरे पर निशाना साधते हुए शिंदे ने कहा कि उन्होंने 2019 में ‘धनुष-बाण’ गिरवी रख दिया था। शिंदे ने कहा कि यह फैसला उनके पक्ष में नहीं आया है इसलिए वह इसका विरोध कर रहे हैं।

‘शिवसेना की विचारधारा को आगे ले जा रहे शिंदे’


वहीं, महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस मुद्दे पर कहा कि एकनाथ शिंदे के पक्ष में आए निर्वाचन आयोग के फैसले ने तय कर दिया है कि वही ‘असली शिवसेना’ का नेतृत्व करते हैं। बता दें कि निर्वाचन आयोग ने मुख्यमंत्री शिंदे के नेतृत्व वाले धड़े को असली शिवसेना के रूप में मान्यता दी और पार्टी का मूल चुनाव चिन्ह ‘तीर-कमान’ प्रदान किया। शिंदे ने कहा कि चुनाव आयोग ने यह फैसला जांच-परख कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि शिवसेना विचारधारा वाली पार्टी है और शिंदे विचारधारा को आगे ले जा रहे हैं।

उद्धव ने पीएम मोदी और शिंदे पर साधा निशाना
वहीं, महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा, ‘आज चुनाव आयोग ने जो फैसला दिया है, वह लोकतंत्र के लिए घातक है। अब लाल किले से प्रधानमंत्री को घोषणा कर देना चाहिए कि लोकतंत्र खत्म हो गया है। हिम्मत है तो मनपा से लेकर लोकसभा तक का चुनाव करा लें। आज के दिन उन्होंने धनुष बाण चुराया है, लेकिन असली धनुष बाण मेरे पास है। लोगों को लगता है कि शिवसेना खत्म हो जाएगी लेकिन ऐसा नहीं होगा। हम इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जाएंगे।’

राज ठाकरे ने ट्वीट की बालासाहेब की सीख
इस मौके पर महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना प्रमुख राज ठाकरे ने शिवसेना के संस्थापक बालासाहेब ठाकरे की एक सीख को ट्वीट किया। बालासाहेब ने कहा था, ‘नाम और पैसा। पैसा आता है, पैसा जाता है, फिर आता है, पर एक बार नाम चला गया तो फिर वापस नहीं आता। इसमें कोई शक नहीं।’ बता दें कि पहले राज ठाकरे को ही बालासाहेब का उत्तराधिकारी माना जाता था लेकिन पार्टी में उद्धव को तरजीह दिए जाने के बाद राज ने अपने रास्ते अलग कर लिए। बाद में उन्होंने महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना का गठन किया।

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