उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि स्पाइसजेट की 270 करोड़ रुपये की बैंक गारंटी को तत्काल भुनाया जाना चाहिए और मध्यस्थता न्यायाधिकरण के फैसले के तहत 578 करोड़ रुपये के बकाया के एवज में यह धन मीडिया दिग्गज कलानिधि मारन और उनके काल एयरवेज को दिया जाना चाहिए। प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा और जे बी पारदीवाला की पीठ ने स्पाइसजेट को तीन महीने के अंदर 75 करोड़ रुपये मारन और काल एयरवेज को मध्यस्थता राशि के ब्याज के तौर पर देने का भी निर्देश दिया।
पीठ ने कहा, प्रतिवादी मारन और काल एयरवेज को 578 करोड़ रुपये में से 308 करोड़ रुपये पहले ही मिल चुके हैं। ऐसे में 270 करोड़ रुपये की बैंक गारंटी तत्काल भुनाई जानी चाहिए और यह राशि प्रतिवादी को दी जानी चाहिए।”त्र शीर्ष न्यायालय स्पाइस जेट की दिल्ली उच्च न्यायालय के दो नवंबर, 2020 के आदेश के खिलाफ अपील पर सुनवाई कर रही थी। उल्लेखनीय है कि 20 जुलाई, 2018 को मध्यस्थता न्यायाधिकरण ने मारन और काल एयरवेज को ‘वारंट’ नहीं जारी करने के कारण 1,323 करोड़ रुपये के नुकसान दावे को खारिज कर दिया था। लेकिन ब्याज के साथ 578 करोड़ रुपये देने का निर्देश दिया था।
सन टीवी नेटवर्क के मालिक मारन मध्यस्थता न्यायाधिकरण के आदेश के खिलाफ उच्च न्यायालय गये थे। यह मामला स्पाइसजेट और उसके प्रवर्तक अजय सिंह के पास स्वामित्व जाने के बाद मारन के पक्ष में ‘वारंट’ नहीं जारी करने से जुड़ा है। सिंह ने एयरलाइन के वित्तीय संकट में होने के बीच फरवरी 2015 में स्पाइसजेट का नियंत्रण फिर से लिया था। मारन और काल एयरवेज ने फरवरी 2015 में स्पाइसजेट में पूरा 35.04 प्रतिशत इक्विटी शेयर सिर्फ दो रुपये में कंपनी के सह-संस्थापक सिंह को हस्तांरित किया था। यह एयरलाइन में 58.46 प्रतिशत हिस्सेदारी के बराबर है।