Turkey Syria earthquake: तुर्की और सीरिया में आए विनाशकारी भूकंप से अब तक 24 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है वहीं एक लाख से ज्यादा लोग घायल हैं जिनका अस्पतालों में इलाज चल रहा है। भूकंप के चलते तुर्की के अंटाक्या, सनलिउरफा और सीरिया का अलेप्पो शहर पूरी तरह से बर्बाद हो चुका है। भारत समेत दुनिया के कई देश तुर्की में रेस्क्यू ऑपरेशन चला रहे हैं ताकि मलबे में दबी जिंदगियों को किसी तरह बचाया जा सके।
एनडीआरएफ ने मलबे से आठ साल की बच्ची को सुरक्षित निकाला
तुर्की में राहत और बचाव में जुटे एनडीआरएफ के जवानों ने एक ढही हुई इमारत के मलबे से आठ साल की बच्ची को सुरक्षित बाहर निकाला। एनडीआरएफ के प्रवक्ता ने कहा कि तुर्की सेना के जवानों के साथ गाजियांतेप प्रांत के नूरदगी शहर में अभियान चलाया गया। एनडीआरएफ के जवानों ने बृहस्पतिवार को इसी इलाके से छह साल की बच्ची को सुरक्षित निकाला था। प्रवक्ता ने कहा, ‘बचावकर्मियों ने अब तक मलबे से दो लोगों को सुरक्षित निकाला है और 13 शव निकाले हैं। एनडीआरएफ का बचाव अभियान सात फरवरी से तुर्की के प्रभावित इलाकों में जारी है।
101 घंटे तक दबे रहे छह लोगों को बचाया गया
तुर्की के इस्केंदेरुन में बचावकर्मयिों ने मलबे के नीचे 101 घंटे तक दबे रहे छह लोगों को शुक्रवार सुबह जिंदा निकाल लिया। वहीं, एक किशोर को भी सुरक्षित निकाला गया जो अपना पेशाब पीकर जिंदा रहा और साथ ही एक चार साल के बच्चे को भी निकाला गया है। एक खोज और बचावकर्मी मूरत बेगुल ने बताया कि इन छह लोगों को ध्वस्त इमारत के भीतर बची एक छोटी सी जगह में एक साथ रहने से जीवित बच पाने में मदद मिली। सभी छह लोग रिश्तेदार हैं। इस भूकंप से मरने वाले लोगों की तादाद जापान के फुकुशिमा में आए भूकंप और सुनामी से होने वाली मौतों की संख्या से भी अधिक हो गई है और मलबों से शवों का निकलने का सिलसिला जारी है जिससे हताहतों की संख्या और बढ़ने की आशंका हैं।
विवाहित जोड़े को मलबे से निकाला
इस्केंदेरुन शहर में भूकंप के 109 घंटे के बाद एक विवाहित जोड़े को मलबे से निकाला गया। मलबे से जिंदा निकाले जाने की और घटनाएं भी सामने आई हैं। जर्मन बचाव टीम ने बताया कि उसने किरिखान स्थित एक मकान से करीब 50 घंटे के बाद मलबे से एक महिला को जिंदा निकालने में सफलता हासिल की है। भूकंप से सबसे अधिक प्रभावित कहरामंमरास में दो किशोरी बहनों को बचाया गया।
भूकंप प्रभावित इलाकों में कड़ाके की सर्दी
विशेषज्ञों का कहना है कि मलबे में व्यक्ति एक सप्ताह या इससे अधिक समय तक जिंदा रह सकता है लेकिन कड़ाके की पड़ रही ठंड की वजह से संभावनाए क्षीण होती जा रही हैं। गौरतलब है कि इलाके में कड़ाके की सर्दी पड़ रही है और शवों को रखने व उनकी पहचान करने के लिए अस्थायी मुर्दाघर बनाए गए हैं। कई इलाकों में अब भी लोग तंबू व भोजन के लिए संघर्ष कर रहे हैं।