जेडीयू के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव निधन हो गया है। शरद यादव की बेटी ने इसकी जानकारी दी है। उनकी उम्र 75 साल थी। शुभाषिनी ने अपने ट्वीट में जानकारी दी। उन्होंने लिखा, ‘पापा नहीं रहे’। गुरुग्राम के फोर्टीज अस्पताल में उन्होंने आखिरी सांस ली।
शरद यादव सर्वमान्य नेता थे। उन्होंने हमेशा बेबाकी से संसद हो या जनसभाएं, अपनी बात प्रखरता से रखी। वे जमीन से जुड़े ऐसे नेता थे, जिन्होंने डॉ. राम मनोहर लोहिया के विचारों से प्रेरित होकर सक्रिय युवा नेता के तौर पर कई आंदोलनों में हिस्सा लिया। आंदोलनों के साथ ही उनका कद भी बढ़ने लगा।
पहली बार 1974 में बने सांसद
पहली बार 1974 में वे मध्य प्रदेश की जबलपुर लोकसभा सीट से सांसद चुने गए। यह जेपी आंदोलन का समय था और वे हल्दर किसान के रूप में जेपी द्वारा चुने गए पहले उम्मीदवार थे। 1977 में भी वे इसी लोकसभा सीट से चुनाव जीते। उस वक्त वे युवा जनता दल के अध्यक्ष रहे। वे पहली बार राज्यसभा पहुंचे साल 1986 में। फिर वे 1989 में यूपी की बदाऊं लोकसभा सीट से चुनाव जीते और तीसरी बार संसद में पहुंच गए। वे 1989-1990 में वीपी सिंह की सरकार में वे टेक्सटाइल और फूड प्रोसेसिंग मंत्रालय में केंद्रीय मंत्री रहे।
लालू, मुलायम के साथ कई आंदोलनों में लिया हिस्सा
अपने राजनीतिक जीवन का आगाज लालू प्रसाद यादव, मुलायम सिंह यादव के साथ शुरू किया। वे इंजीनियर भी थे। 1971 में इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान वे जबलपुर इंजीनियरिंग कॉलेज, जबलपुर मध्यप्रदेश में छात्र संघ के अध्यक्ष चुने गए। छात्र राजनीति के साथ वे पढ़ाई में भी अग्रणी रहे और बीई (सिविल) में गोल्ड मेडल जीता। पढ़ाई में अच्छा होने के बावजूद उनके जीवन में राजनीतिक विचारधारा बलवती रही। यही कारण रहा कि आम जनमानस के लिए कुछ कर गुजरने की जीजिविषा के चलते उन्होंने राजनीति को ही अपना ध्येय बनाया।